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Final Day of Shraddh(श्राद्ध): 5 Powerful Rituals to Receive Ancestors’ Blessings

पितृपक्ष, यानी श्राद्ध का समय, हमारे जीवन में गहरे आध्यात्मिक और भावनात्मक महत्व रखता है। ये वो दिन होते हैं जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध का अंतिम दिन सबसे विशेष माना जाता है?
श्राद्ध के अंतिम दिन किए गए कुछ विशेष कार्य पितरों को संतुष्ट करते हैं और आपके जीवन में भाग्य, समृद्धि और शांति का मार्ग खोलते हैं। आइए जानते हैं वो 5 जरूरी उपाय:

1. पितरों का तर्पण और पिंडदान

श्राद्ध के अंतिम दिन तर्पण और पिंडदान करना अनिवार्य है।
गंगा जल या किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर पितरों को स्मरण करें।

2. ब्राह्मण और गौ सेवा

श्राद्ध के आखिरी दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
यदि संभव हो तो गौ सेवा भी अवश्य करें।
शास्त्रों में कहा गया है – “गौ सेवा और ब्राह्मण भोजन पितृ संतुष्टि का मार्ग हैं।”
यह कदम आपके घर में समृद्धि और सौभाग्य बढ़ाने का शक्तिशाली उपाय है।

3. गरीब और जरूरतमंदों को भोजन दान

श्राद्ध के अंतिम दिन गरीबों को भोजन कराना पितृ सेवा का सर्वोत्तम तरीका है।
खीर, पूड़ी और सब्ज़ी जैसे पारंपरिक व्यंजन दान में दें।
याद रखें, जब हम जरूरतमंदों की सेवा करते हैं, तो हमारे पूर्वज भी प्रसन्न होकर अपने आशीर्वाद भेजते हैं।

4. दीपदान और स्मरण

संध्या समय घर के आंगन या किसी पवित्र स्थान पर दीपक जलाएं।
इस दीपक की ज्योति न केवल अंधकार को दूर करती है बल्कि घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी भरती है।
पितरों के नाम से दीपक अर्पित करना उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का सर्वोत्तम तरीका है।

5. मंत्र जाप और प्रार्थना

श्राद्ध के अंतिम दिन “ॐ पितृभ्यः स्वधा” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
सिर्फ शब्द नहीं, ये मंत्र आपके जीवन में ऊर्जा और भाग्य का संचार करता है।
जितनी श्रद्धा से आप ये जाप करेंगे, उतना ही पितृ प्रसन्न होकर आपके लिए आशीर्वाद भेजेंगे।

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